Answer
1. पालमपुर के किसानों में भूमि छोटे और बड़े किसानों के बीच सीमित रूप से वितरित है।
2. पालमपुर में धान, गेहूं, मक्का, दलहन, मूंग, सरसों, मटर, सेब, अमरूद और अन्य सब्जियाँ उगाई जाती हैं।
3. डाला और रामकली जैसे खेतिहर श्रमिक गरीब हैं क्योंकि उनके पास सीमित आर्थिक संसाधन और भूमि स्वामित्व नहीं है।
4. पालमपुर में कृषि कार्य के लिए श्रमिक स्थानीय दलाल, रोजगार एजेंसियाँ, कृषि योजनाएं, जमीनदारों और सामुदायिक संगठनों से उपलब्ध होते हैं।
5. बहुविध फसल प्रणाली एक कृषि पद्धति है जिसमें एक ही वर्ष में विभिन्न प्रकार की फसलों का उगाना होता है। यह भूमि का संतुलित उपयोग, उत्पादन में वृद्धि, कीट नियंत्रण और विविध आय स्रोत प्रदान करती है।
Solution
### 1. पालमपुर के किसानों में भूमि किस प्रकार वितरित है?
पालमपुर के किसानों में भूमि का वितरण मुख्यतः छोटे और बड़ें किसानों के बीच विभाजित है। अधिकांश किसान छोटे हैं जिनके पास सीमित कृषि योग्य भूमि है, जबकि कुछ बड़े ज़मीनदार भी मौजूद हैं जिनके पास विस्तृत खेत हैं। यह वितरण पारंपरिक विभाजन एवं उत्तराधिकार के माध्यम से होता है, जिससे भूमि की किस्मत में विविधता आती है।
### 2. पालमपुर में उगाई जाने वाली विभिन्न फसलों का उल्लेख कीजिए।
पालमपुर में विविध प्रकार की फसलें उगाई जाती हैं, जिनमें मुख्य रूप से धान, गेहूं, मक्का, दलहन जैसे अरहर और मूंग, और मसालेदार फसलें जैसे सरसों और मटर शामिल हैं। इसके अलावा, फल जैसे सेब, अमरूद, और अन्य सब्जियाँ भी यहाँ की प्रमुख फसलों में हैं।
### 3. डाला और रामकली जैसे खेतिहर श्रमिक गरीब क्यों हैं?
डाला और रामकली जैसे खेतिहर श्रमिक गरीब हैं क्योंकि उनके पास सीमित आर्थिक संसाधन और भूमि स्वामित्व नहीं है। वे आमतौर पर मजदूरी पर काम करते हैं, जो उनकी आय को स्थिर नहीं रख पाती। इसके अलावा, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी भी उनकी गरीबी में योगदान करती है।
### 4. पालमपुर में कृषि कार्य हेतु श्रमिक कौन उपलब्ध कराता है?
पालमपुर में कृषि कार्य हेतु श्रमिक आमतौर पर स्थानीय दलाल, रोजगार एजेंसियाँ, या कृषि योजनाओं द्वारा उपलब्ध कराए जाते हैं। कभी-कभी जमीनदार स्वयं भी अपने खेतों में मजदूरों को काम पर रखते हैं। इसके अलावा, सामुदायिक संगठनों और स्थानीय बाजारों के माध्यम से भी श्रमबल प्राप्त किया जाता है।
### 5. बहुविध फसल प्रणाली क्या है?
बहुविध फसल प्रणाली वह कृषि पद्धति है जिसमें एक ही वर्ष में या अनुक्रमिक तरीकों से विभिन्न प्रकार की फसलों का उगाना शामिल होता है। इससे भूमि का संतुलित उपयोग होता है, उत्पादन में वृद्धि होती है और कृषि जोखिम कम होते हैं। यह प्रणाली मिट्टी की उर्वरता बनाए रखने, कीट नियंत्रण में मदद करने और विविध आय स्रोत प्रदान करने में सहायक होती है।
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